Terror Strikes Pahalgam: एक जन्नत, जो हमेशा जंग के साए में रहती है।
आज सुबह एक बार फिर कश्मीर की वादियाँ गोलियों की आवाज़ से गूंज उठीं। आतंकियों ने घात लगाकर एक पर्यटक वाहन को निशाना बनाया, जिसमें कई लोग घायल हो गए। यह हमला उस वक्त हुआ जब बड़ी संख्या में भारतीय सैलानी गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने के लिए घाटी का रुख कर रहे हैं। यह घटना एक बार फिर इस सच्चाई को उजागर करती है कि कश्मीर, जहाँ एक ओर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, वहीं दूसरी ओर आतंकवाद का दर्द भी झेल रहा है।
कश्मीर… एक ऐसा नाम जो सुनते ही आँखों के सामने बर्फ से ढके पहाड़, शांत झीलें, झूमते हुए चिनार के पेड़ और दिल को सुकून देने वाली ठंडी हवा तैर जाती है। भारत का यह हिस्सा अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनिया भर में मशहूर है। हर साल लाखों सैलानी, खासकर भारतीय पर्यटक, गर्मियों के मौसम में यहां का रुख़ करते हैं। जब देश के बाकी हिस्सों में पारा 40 के पार पहुंच जाता है, तब कश्मीर अपनी ठंडी वादियों से लोगों को राहत देता है।

पर्यटन का स्वर्ग, पर तनाव की हकीकत
जहाँ एक ओर कश्मीर पर्यटन का स्वर्ग है, वहीं दूसरी ओर यह लंबे समय से विवाद और संघर्ष का केंद्र भी रहा है। यहाँ की मिट्टी ने जितनी मोहब्बत देखी है, उतना ही खून भी।
गर्मियों के मौसम में जब सैलानियों की भीड़ Gulmarg, Pahalgam, Sonmarg जैसे पर्यटन स्थलों पर उमड़ती है, उसी दौरान घाटी के कुछ हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियाँ भी तेज़ हो जाती हैं। हाल के वर्षों में देखा गया है कि उग्रवादी गुट विशेष रूप से सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं। जंगलों और पहाड़ी इलाकों में सुरक्षा बलों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं।
सुरक्षा बलों की तैनाती और ऑपरेशन

ऐसे हालात में भारतीय सेना और अर्धसैनिक बल हमेशा हाई अलर्ट पर रहते हैं। जब भी किसी आतंकी हमले की खबर आती है, तुरंत इलाके की घेराबंदी कर सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया जाता है। जवान न केवल स्थानीय लोगों की सुरक्षा करते हैं, बल्कि सैलानियों को भी सुरक्षित माहौल देने की पूरी कोशिश करते हैं।
कई बार ऑपरेशन घंटों नहीं, बल्कि कई दिनों तक चलते हैं। स्थानीय लोगों की दिक्कतों के बावजूद, अधिकतर कश्मीरी शांति के पक्षधर हैं और इन कार्रवाइयों में सुरक्षा बलों का साथ देते हैं।
कश्मीर: सिर्फ एक भू-भाग नहीं, एक भावना है
कश्मीर सिर्फ एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है, बल्कि एक भावना है, एक एहसास है जो हर भारतीय के दिल के बहुत करीब है। यहाँ की झीलें, घाटियाँ, संगीत, शायरी और संस्कृति दिल को छू जाती है। हर कोई चाहता है कि यह स्वर्ग हमेशा के लिए शांत और सुरक्षित बना रहे।
लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। भारत और पाकिस्तान दोनों इस पूरे क्षेत्र पर दावा करते हैं। भले ही नियंत्रण रेखा (LoC) दोनों हिस्सों को बांटती हो, पर राजनीतिक बयानबाज़ी, घुसपैठ, और आतंकवाद ने इस स्वर्ग को हमेशा अशांत रखा है।
फिर भी उम्मीद बाकी है
इन सब के बावजूद, कश्मीर की आत्मा ज़िंदा है। वहां के लोगों में ज़िंदगी को फिर से पटरी पर लाने की तमन्ना है। नई पीढ़ी अब शिक्षा, पर्यटन और व्यापार के ज़रिए शांति की ओर बढ़ना चाहती है। कई स्थानीय युवा अब सरकार की योजनाओं में भागीदारी कर रहे हैं, स्वरोज़गार अपना रहे हैं और आतंक की बजाय तरक्की को अपना लक्ष्य बना रहे हैं।
सरकार भी कश्मीर में विकास परियोजनाओं को तेज़ी से लागू कर रही है – सड़कें, पुल, स्कूल, अस्पताल, और इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार हो रहा है। इससे ना सिर्फ़ स्थानीय लोगों को लाभ मिल रहा है, बल्कि पर्यटन उद्योग को भी नई ऊर्जा मिल रही है।
कश्मीर का भविष्य – हमारी जिम्मेदारी

कश्मीर का भविष्य हम सबके हाथ में है – देश की सरकार, सेना, स्थानीय लोग और हर भारतीय नागरिक की सोच इस दिशा को तय करेगी। यह ज़रूरी है कि हम कश्मीर को केवल एक खबर की तरह ना देखें, बल्कि वहाँ के लोगों की ज़िंदगियों को समझें, उनकी तकलीफों को महसूस करें और उनकी उम्मीदों का साथ दें।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कश्मीर केवल एक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश नहीं है, यह हमारे देश की आत्मा है। जब तक वहां शांति नहीं होगी, तब तक हमारा देश अधूरा रहेगा।
कश्मीर एक ऐसी जगह है, जो जितनी खूबसूरत है, उतनी ही संवेदनशील भी। यह स्वर्ग तभी सच्चा स्वर्ग बन पाएगा जब वहाँ के लोग पूरी तरह सुरक्षित महसूस करें, जब वहाँ के बच्चे बिना डर के स्कूल जाएं, और जब वहाँ के पर्यटक केवल प्राकृतिक सौंदर्य की तस्वीरें लेकर लौटें, ख़बरों की नहीं।
शायद वो दिन दूर नहीं जब कश्मीर फिर से मुस्कराएगा – बिना बंदूकों के साए के, सिर्फ़ शांति, मोहब्बत और उम्मीद के साथ।
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